वर्तमान समय में लोगों का खान–पान और दिनचर्या ऐसी हो गई है कि हर कोई लीवर की अलग–अलग बिमारियों(Liver Diseases) से परेशान रहता है| आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार जब व्यक्ति के शरीर में कफ और पित्त दोष असंतुलित रहने लगते है तो वह यकृत रोगों से ग्रसित रहने लगता है| पाचन तन्त्र के असंतुलित हो जाने पर इसका प्रभाव लीवर पर दिखना शुरू हो जाता है जिसकी वजह से उसमें सूजन आ जाना, उसका फैटी हो जाना और लीवर सिरोसिस जैसी जानलेवा बीमारी हो जाने का डर बना रहता है|
यकृत रोग परिचय:
आयुर्वेदिक चिकित्सा में यकृत यानि लीवर को शरीर का सबसे अहम अंग माना गया है, यह आपके अंदर से हानिकारक बैक्टीरिया हो बाहर निकालने का काम करता है| परन्तु फिर भी लोग इसका ध्यान नही रख पाते, आज–कल लोग फ़ास्ट फ़ूड और तला हुआ भोजन खाना पसंद करते हैं जो लिवर की अनेक बिमारियों को आमन्त्रण देता है| इसकी बीमारियाँ आपको आनुवांशिक रूप से भी हो सकती हैं, लेकिन आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगें कि आयुर्वेदिक तरीके से कैसे लीवर रोगों के लक्षण और कारणों के बारे जानकर इनका अच्छे से उपचार किया जा सकता है|
यकृत रोगों के सामान्य लक्षण:
चिकित्सा कोई भी हो अगर किसी रोग को जड़ से खत्म करना है तो सबसे पहले उसके लक्षणों के बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है| निम्नलिखित लक्षणों के बारे में जानकर आप लीवर रोगों से सुरक्षित रह सकते हैं…
- आधुनिक शोध की मानें तो लीवर की बिमारियों में व्यक्ति के शरीर की त्वचा और आँखों का रंग पीला होने लग जाता है|
- त्वचा रूखी और उसके उपर बहुत ज्यादा खुजली होना शुरू हो जाती है|
- लीवर की बिमारियों से ग्रसित व्यक्ति कमजोर होने लगता है जिसको एक अहम लक्षण माना जाता है|
- शारीरिक गतिविधि न हो पाने पर भी व्यक्ति थका–थका महसूस करता है|
- रोगी के मूत्र और मल का रंग पीला होने लगता है|
- रोगी को हमेशा पेट में दर्द रहने लगता है और बार–बार उल्टियाँ आती हैं|
- हाथ और पैरों में सूजन आने लगती है जो लीवर बिमारियों का मुख्य लक्षण है |
- खराब आहार का सेवन पाचन तन्त्र को असंतुलित कर सकता है जिसकी वजह से आप फैटी लीवर का आसान शिकार हो सकते हैं |
इन सभी में से किसी के भी महसूस होने पर तुरंत आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह आवश्य कर लें, बीमारी के शुरू होते ही उसको रोक लेना सही रहता है |
यकृत रोगों के मुख्य कारण:
आज की आधुनिक शोध भी इस बात को मानती है कि बीमारी के कारण को जानकार उसका इलाज सबसे पहले करना चाहिए|
आयुर्वेद में लीवर (liver) रोगों के निम्नलिखित कारण माने गए हैं…
- जो लोग नशीले खाद्य पदार्थों और शराब का अधिक सेवन करते हैं वह जल्दी लीवर की बिमारियों के शिकार होते हैं| तला हुआ, जंक फ़ूड और अधिक तेलिय खाद्य पदार्थों के उपयोग से यकृत विकार हो सकते हैं|
- हेपेटाइटिस की जानलेवा बीमारी के कारण भी अनेक रोग शरीर में घर कर सकते हैं|
- किसी भी प्रकार के इंफेक्शन या फिर हानिकारक बैक्टीरिया के अंदर चले जाने से भी आपको लीवर रोग हो सकते हैं|
- कई व्यक्तियों के परिवार में पहले किसी को अगर यकृत की कोई बीमारी थी तो आगे भी इसके होने का खतरा बना रहता है|
- मधुमेह की बीमारी में शरीर के अंदर इन्सुलिन की मात्रा असंतुलित हो जाती है जो लीवर रोगों का एक कारण बन सकती है|
- अगर आप पेट की किसी भी समस्या से परेशान है तो इनको नज़रंदाज न करें और समय पर इनका उपचार कर लें|
- शरीर का वजन अचानक से कम या ज्यादा होना भी यकृत बिमारियों का कारण हो सकता है|
यकृत के कुछ सामान्य रोग:
- लीवर फैटी होना: जब व्यक्ति के शरीर में लीवर के अन्द्रुनि भागो में फैट सामान्य से ज्यादा हो जाता है तो उसको फैटी लिवर कहा जाता है।
- हेपेटाइटिस संक्रमण: यह एक प्रकार का संक्रमण है जिसका वायरस अन्य लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
- सिरोसिस: जब लिवर की स्थिति काफी ज्यादा खराब हो जाती है तो व्यक्ति एक गंभीर रोग सिरोसिस की चपेट में आ जाता है।
- पीलिया: इसमें शरीर की पूरी त्वचा, नाख़ून और आँखों का रंग पिला होने लगता है|
- कैंसर: इस स्थिति में लीवर के अंदर कैंसर वाली कोशिकाएं बनने लग जाती हैं|
लीवर की बीमारियों से बचने के उपाय (Ways to avoid Liver Diseases) :
- अत्यधिक शराब का सेवन आपको सिरोसिस की बीमारी से ग्रसित कर सकता है तो इसके उपयोग से हमेशा बचें|
- आज के समय में लोगों का सबसे पसंदीदा आहार फास्ट फ़ूड और तला हुआ खाना है, जो शरीर में अंदर जाने के बाद फैटी लीवर जैसी समस्याओं को आमंत्रित कर लेता है| इसलिए अपने आप को बिमारियों से मुक्त रखने के लिए हरी सब्जियां और मौसमी फलों का सेवन करें|
- अगर आप हेपेटाइटिस बी या सी रोग से संक्रमित हैं तो सबसे पहले इनके लक्षण और कारण को जानकर उपचार कर लें, यह रोग आने वाले समय में लीवर सिरोसिस को बढ़ावा दे सकते हैं|
- लीवर से संबंधित कोई परेशानी महसूस होते ही आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करें|
- कोशिश करें सूरज के निकलने से पहले उठकर बाहर 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलें|
- दिनचर्या में उचित आहार, योग और प्राणायाम को आवश्यक जोड़ लें|
लीवर रोगों में उपयोगी घरेलू उपचार:
अब हम आपको कुछ आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बता रहे हैं, जो एकदम शुद्ध और 100 प्राकृतिक हैं। अगर इनका प्रयोग वैद्य के परामर्श से रोजाना किया जाए तो यकृत की अनेक जानलेवा बिमारियों से बचा जा सकता है|
- सेब का सिरका उत्तम दवा – इसका सेवन लीवर के आस–पास होने वाले अतिरिक्त फैट को संतुलित करने में मददगार साबित होता है| यही कारण है कि आयुर्वेद में इस प्रयोग को उत्तम दवा कहा गया है|
- मुलेठी एक महत्वपूर्ण औषधि – अगर आपको पता हो इसके अंदर एंटी–इंफ्लमेटरी गुणों की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है जो आपके शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने के साथ–साथ यकृत विकारों को दूर करने में भी सहायता प्रदान करते हैं|
- आंवला के अनेक फायदे – आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आंवले के अंदर विटामिन बी, सी, कैल्शियम और आयरन के आलावा अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं| यह आपके पाचन तन्त्र को स्वस्थ रखने के साथ–साथ हड्डियों को भी मजबूती देने का काम करते हैं|
- पपीता भी है गुणों की खान – आयुर्वेदिक चिकित्सा कहती है कि इस फल में बीटा कैरोटीन, पोटैशियम, विटामिन–ए, बी, सी और फाइबर जैसे लाभकारी पोषक तत्व मौजूद रहते हैं जो आपके लीवर को अनके हानिकारक बैक्टीरिया और रोगों से बचा कर रखते हैं|
- देसी गाय का दूध – यह दूध शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है और जब इसके अंदर हल्दी का मिश्रण कर दिया जाए तो इसकी शक्ति और ज्यादा बढ़ जाती है| इनके अंदर के विटामिन, कैल्शियम, पोटैशियम, जिंक और फाइबर आपके यकृत को मजबूत और बिमारियों से मुक्त बनाए रखते हैं|
- मकोय का सेवन – बता दें कि इस प्राकृतिक जड़ी–बूटी में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे लाभकारी खनिज पदार्थ काफी पाए जाते हैं जो फैटी लीवर, उसकी सूजन और पेट दर्द जैसी समस्याओं को जड़ से खत्म करने का काम करते हैं |
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर और अपनी दिनचर्या में परिवर्तन के द्वारा आप लीवर की गंभीर और असहनीय बिमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं| सबसे अहम और जरूरी बात सभी जड़ी–बूटियों का उचित लाभ लेने के लिए इनका सेवन हमेशा किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बाद ही करें|
यकृत बीमारियों का आयुर्वेदिक उपचार:
अब हम आपको लीवर की अलग–अलग गंभीर बिमारियों को जड़ से खत्म करने वाली युक्ति हर्ब्स (Yukti Herbs) की 100 % प्राकृतिक औषधि लिवो सेवियर (livo savior) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं |
यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाकर, यकृत और पित्ताशय के उचित कार्य का समर्थन करती है। इसमें किया गया :
- भूमि आंवला (फिलेंथस निरुरी)
- कालमेघ (एंड्रोग्राफिस पैनिकुलता)
- भिरंगराज (एक्लिप्टा अल्बा)
- पुनर्नवा (बोएरहाविया डिफ्यूसा)
- कासनी (सिचोरियम इंटीबस)
जैसी लाभकारी जड़ी बूटियों का मिश्रण लीवर को स्वस्थ बनाने के साथ–साथ उसको अनेक बिमारियों से भी बचा के रखता है|
युक्ति हर्ब्स लिवो सेवियर (Livo Savior) के अद्भुत फायदे:
- यह शरीर में पित्त दोष को बढ़ने से रोकती है |
- आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखने में सहायता प्रदान करती है |
- वात, पित्त और कफ़ दोष को संतुलित बनाए रखने का काम करती है |
- हानिकारक बैक्टीरिया को मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालने में मदद करती है |
- लिवो सेवियर का सेवन हमेशा विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बाद ही करें|
- लिवो सेवियर के हर्बल घटक पित्त स्राव को प्रोत्साहित करने, पाचन तंत्र में सुधार लाने और स्वस्थ लीवर को बनाए रखने के लिए अच्छे तरीके से काम करते हैं। इस औषधि का नियमित रूप से सेवन यकृत के काफी विकारों को जड़ से खत्म करने का काम करता है |
- लिवो सेवियर (livo savior) आपको फैटी लीवर और लीवर सिरोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रखने में मदद करता है, इस आयुर्वेदिक दवा को विशेष रूप से लीवर को डिटॉक्स करने के लिए बनाया गया है|
इस तरीके से करें ऑर्डर – आप वेबसाइट – www.yuktiherbs.com से ऑर्डर कर सकते हैं या फिर +91 828-386-5637, +91 752-786-9388 पर कॉल या व्हाट्सएप भी कर सकते हैं।